विटामिन डी फायदे,स्त्रोत और नुकसान–vitamin D benifits,source, disadvantages

 विटामिन डी क्या है(what is vitamin D)

विटामिन डी से कोई बिरला ही होगा जो नही जानता होगा इसके फायदे को और कमी हो जाने पर इससे होने वाली समस्यायों को।विटामिन D वसा में घुलनशील होता है।
विटामिन डी का सबसे बड़ा और प्रमुख स्त्रोत सूर्य की रोशनी है परंतु इतना बड़ा स्त्रोत होने के बावजूद भी आज हम सबको इसकी कमी का सामना करना पड़ रहा है।इसका सबसे मुख्य कारण यह है की हम धूप में नही रहते है या हम रहना ही नही चाहते है।परंतु धूप हमारे लिए अति आवश्यक है हमारी हड्डियों के लिए क्योंकि बिना विटामिन डी के कैल्शियम भी अपना काम प्रभावी रूप से नहीं कर सकता है।कुछ ऐसे पदार्थ है जिनसे हमें विटामिन डी मिलता है फिर भी सूरज की रोशनी भी जरूरी है।आजकल तो विटामिन डी की गोली भी उपलब्ध है फिर भी मैं कहूंगा इतना ही काफी नहीं है।
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 विटामिन डी के प्रकार(types of vitamin D)

विटामिन डी मुख्यतः दो प्रकार क्या होता है जिसके बारे में नीचे बात करेंगे–

1.विटामिन D2:–विटामिन डी2 को ही अर्गोकैल्सीफेराल कहते है।विटामिन डी2 का स्त्रोत पौधो से है जैसे की मशरूम वो भी जो धूप में उगा हुआ हो और फर्टीफाइड फूड्स में मिलता है।विटामिन डी का प्रमुख स्त्रोत सूरज की रोशनी होती है।सूर्य की अल्ट्रा वॉयलेट किरणे पौधे में मौजूद तेल के यौगिक के साथ में मिलकर विटामिन डी2 बनाते है।

2.विटामिन D3:–विटामिन डी3 को ही कॉलेकैल्सिफेरॉल कहते है।विटामिन डी3 का प्रमुख स्त्रोत मछली,मछली का तेल,अंडे की जर्दी(पीला भाग),मक्खन और डायटरी सप्लीमेंट में मिलता है।सूर्य की अल्ट्रा वॉयलेट किरणे त्वचा में 7–डी हाइड्रोकोलेस्टेरॉल यौगिक के साथ संयोजन करके विटामिन डी3 का निर्माण करते है।

विटामिन डी की मात्रा(Vitamin D content)

हर मनुष्य के लिए उसके वजन,आयु,लिंग  के अनुसार विटामिन डी की मात्रा अलग-अलग होती है–
  • बच्चे के जन्म से लेकर 6 महीने की उम्र तक के शिशु को 400IU के करीब विटामिन डी लेना चाहिए।
  • 1 साल से लेकर 18 साल तक 500IU के करीब विटामिन डी लेना चाहिए।
  • 18 साल से लेकर 50 साल तक 600IU के करीब विटामिन डी लेना चाहिए।
(ऊपर जो आंकड़े दिए गए है वह महिला और पुरुष दोनों के लिए है।)
नोट:–IU=INTERNATIONAL UNIT
1MCG=40IU(MCG=MICROGRAM)

गर्भवती महिला और बच्चो को दूध पिलाने वाली महिला को भी 600IU के लगभम विटामिन डी लेना चाहिए।

विटामिन डी के स्त्रोत(sources of vitamin D)

विटामिन डी के प्रमुख स्त्रोत कुछ इस प्रकार है–
  • सूर्य की किरण(धूप)
  • अंडे की जर्दी(पीला भाग)
  • दूध
  • शलजम
  • टमाटर
  • नींबू
  • मूली
  • माल्टा
  • पनीर
  • पत्तागोभी
  • मशरूम

विटामिन डी के फायदे(advantages of vitamin D)

Vitamin D हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरूरी होता है।
  • विटामिन डी दिमाग को तेज करता है।
  • विटामिन डी मांसपेशियों और नसों के स्वस्थ और मजबूत बनाता है।
  • विटामिन डी हृदय और उच्च रक्तचाप की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
  • विटामिन डी हमारे शरीर में फॉस्फोरस और सीरम कैल्शियम को सही अनुपात में बनाए रखने में मदद करता है।
  • विटामिन डी आंत में खनिज का अवशोषण करके हड्डियों तक पहुंचाने का काम करता है।
  • विटामिन डी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

विटामिन डी की कमी से होने वाली समस्याएं(Vitamin D deficiency problems)

अगर जरूरत से कम विटामिन डी ले तो निम्न समस्या हो जाती है–

बच्चो में(in children):–
  • चिड़चिड़ापन
  • देर से चलना और देर से खड़ा भी होना
  • मांसपेशियों में ऐठन का होना 
  • पैरो का कमजोर होना और सिर का नरम होना
  • बार बार संक्रमण का शिकार होना
  • सांस लेने में दिक्कत होना

वयस्को में(in adults):–
  • मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी का होना 
  • हड्डियों में दर्द होना
  • ज्यादा पसीना का आना और जल्दी थक जाना
  • बेचैनी
  • कमजोर दांत
  • बालो का झड़ना
  • कलाई और एडियो का फूलना 
  • डायबिटीज
  • सोरियसस
  • हाई ब्लड प्रैशर
  • कब्ज और दस्त 
  • सांस का संक्रमण

विटामिन डी की मात्रा अधिक होना(high intake of vitamin D)

विटामिन डी एक अच्छा एंटी ऑक्सीडेंट का काम भी करता है।विटामिन डी का जरूरत से ज्यादा सेवन करने पर कैल्शियम की मात्रा अधिक ही सकती है।जिससे हम कई समस्या का सामना कर सकते है।
जैसे:–भूंख ना लगना,कमजोरी का होना,बार बार पेसाब के लिए जाना,हृदय रोग का खतरा


                            स्वस्थ रहे । मस्त रहे ।


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